Yan Sandhi ki paribhasha,niyam,sutra,parkar,250+ Examples
यण संधि की परिभाषा :-
जब दो भिन्न स्वरों का मेल ( संधि ) होने पर उनके स्थान पर नया व्यंजन य,व या र बन जाता है तो उस संधि को यण संधि कहते है |
उदाहरण - यदि + अपि = यघपि
तनु + अंगी = तन्वंगी
अनु + अय = अन्वय
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
यण संधि के नियम :-
(1) इ / ई + अन्य स्वर ( इ / ई के अलावा ) = य्
(2) उ / ऊ + अन्य स्वर ( उ / ऊ के अलावा ) = व्
(3) ऋ + भिन्न स्वर ( ऋ के अलावा ) = र्
यण संधि के प्रकार / भेद या विभिन्न रूप निम्न प्रकार है :-
(1) इ + अ = य
(2) इ + आ = या
(3) ई + अ = य
(4) ई + आ = या
(5) इ + उ = यु
(6) ई + उ = यु
(7) इ + ऊ = यू
(8) ई + ऊ = यू
(9) इ + ए = ये
(10) ई + ए = ये
(11) इ + ऐ = यै
(12) ई + ऐ = यै
(13) इ / ई + ओ = यो
(14) इ / ई + औ = यौ
(15) उ + अ = व
(16) ऊ + अ = व
(17) उ + आ = वा
(18) ऊ + आ = वा
(19) उ / ऊ + इ = वि
(20) उ / ऊ + ई = वी
(21) उ / ऊ + ए = वे
(22) ऊ + ऐ = वै
(23) उ + ओ = वो
(24) उ / ऊ + औ = वौ
(25) ऋ + अ = र
(26) ऋ + आ = रा
(27) ऋ + इ / ई = रि / री
(28) ऋ + उ = रु
(29) ऋ + ए = रे
(30) ऋ + ऐ = रै
(31) ऋ + ओ / औ = रो / रौ
अब हम इन सभी प्रकारों का विस्तार पूर्वक उदाहरण सहित अध्ययन करेंगे |
यण संधि के 250+ उदाहरण :-
यहाँ यण संधि के 250+ उदाहरण दिये गये है जो यण संधि के अभ्यास के लिए पर्याप्त है |
(1) इ + अ = य
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + अंत = अत्यंत
रीती + अनुसार = रीत्यनुसार
जाति + अभिमान = जात्यभिमान
गति + अवरोध = गत्यवरोध
इति + अर्थ = इत्यर्थ
अति + अल्प = अत्यल्प
प्रति + अर्पण = प्रत्यर्पण
प्रति + अभिज्ञ = प्रत्यभिज्ञ
परि + अवसान = पर्यवसान
वि + अर्थ = व्यर्थ
प्रति + अंतर = प्रत्यंतर
गति + अनुसार = गत्यनुसार
अधि + अक्ष = अध्यक्ष
अभि + अंतर = अभ्यन्तर
अधि + अयन = अध्ययन
राशि + अंतरण = राश्यंतरण
अभि + अर्थना = अभ्यर्थना
वि + अवधान = व्यवधान
त्रि + अक्षर = त्र्यक्षर
वि + असन = व्यसन
अग्नि + अस्त्र = आग्न्यस्त्र
बुद्धि + अनुसार = बुद्ध्यनुसार
विधि + अर्थ = विध्यर्थ
त्रि + अम्बकम् = त्र्यम्बकम्
हरि + अंक = हर्यंक
परि + अटन = पर्यटन
वि + अय = व्यय
परि + अंक = पर्यंक
परि + अवेक्षण = पर्यवेक्षण
वि + अंजन = व्यंजन
वि + अभिचार = व्यभिचार
वि + अवसाय = व्यवसाय
अभि + अर्थी = अभ्यर्थी
प्रति + अर्पण = प्रत्यर्पण
वि + अंग्य = व्यंग्य
अधि + अक्षर = अध्यक्षर
प्रति + अपकार = प्रत्ययकार
द्वि + अर्थी = द्व्यर्थी
वि + अक्त = व्यक्त्त
आदि + अंत = आघंत
ध्वनि + अर्थ = ध्वन्यर्थ
स्वस्ति + अयन = स्वस्त्ययन
वृद्धि + आदेश = वृध्यादेश
इति + अलम् = इत्यलम्
यदि + अपि = यघपि
नि + अस्त = न्यस्त
वि + अग्र = व्यग्र
परि + अवेक्षक = पर्यवेक्षक
वि + अष्टि = व्यष्टि
वि + अवहार = व्यवहार
वि + अस्त = व्यस्त
वि + अवस्था = व्यवस्था
प्रति + अय = प्रत्यय
परि + अंत = पर्यंत
प्रति + अक्षि = प्रत्यक्ष
इति + अर्थ = इत्यर्थ
मति + अनुसार = मत्यनुसार
प्रति + अंचा = प्रत्यंचा
(2) इ + आ = या
वि + आप्त = व्याप्त
इति + आदि = इत्यादि
अभि + आगत = अभ्यागत
वि + आयाम = व्यायाम
वि + आख्यान = व्याख्यान
अधि + आपक = अध्यापक
अधि + आत्म = अध्यात्म
प्रति + आशित = प्रत्याशित
प्रति + आरोपण = प्रत्यारोपण
वि + आधि = व्याधि
अग्नि + आशय = अग्न्याशय
वि + आगत = व्यागत
प्रति + आहार = प्रत्याहार
परि + आप्त = पर्याप्त
अति + आनंद = अत्यानंद
परि + आय = पर्याय
अति + आचार = अत्याचार
अधि + आय = अध्याय
परि + आवरण = पर्यावरण
वि + आस = व्यास
अधि + आदेश = अध्यादेश
प्रति + आशी = प्रत्याशी
वि + आकुल = व्याकुल
प्रति + आवर्तन = प्रत्यावर्तन
प्रति + आभूति = प्रत्याभूति
वि + आवृत्त = व्यावृत्त
वि + आहत = व्याहत
वि + आवर्तन = व्यावर्तन
शक्ति + आराधना = शक्त्याराधना
अभि + आस = अभ्यास
नि + आय = न्याय
प्रति + आघात = प्रत्याघात
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अति + आधुनिक = अत्याधुनिक
प्रति + आरोप = प्रत्यारोप
वि + आकरण = व्याकरण
प्राप्ति + आशा = प्राप्त्याशा
वि + आघात = व्याघात
नि + आस = न्यास
वि + आपक = व्यापक
ध्वनि + आत्मक = ध्वन्यात्मक
ध्वनि + आलोक = ध्वन्यालोक
प्रति + आशा = प्रत्याशा
प्रति + आख्यान = प्रत्याख्यान
(3) ई + अ = य
देवी + अंग = देव्यंग
देवी + अर्पण = देव्यर्पण
स्त्री + अधिकार = स्त्र्यधिकार
नदी + अंबु = नघंबु
मही + अर्चन = मह्यर्चन
नदी + अर्पण = नघर्पण
नदी + अर्चन = नघर्चना
सती + अर्पण = सत्यर्पण
देवी + अर्पित = देव्यर्पित
नदी + अन्त = नघन्त
(4) ई + आ = या
सखी + आगमन = सख्यागमन
पृथ्वी + आधार = पृथ्व्याधार
सरस्वती + आराधना = सरस्वत्याराधना
मही + आधार = मह्याधार
नदी + आमुख = नघामुख
देवी + आगमन = देव्यागमन
(5) इ + उ = यु
परि + उषण = पर्युषण
अभि + उदय = अभ्युदय
अति + उक्ति = अत्युक्ति
अभि + उत्थान = अभ्युत्थान
आदि + उपांत = आघुपांत
अति + उत्तम = अत्युत्तम
अति + उष्ण = अत्युष्ण
वि + उत्पन्न = व्युत्पन्न
नि + उपकार = न्युपकार
वि + उपदेश = व्युपदेश
उपरि + उक्त्त = उपर्युक्त्त
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
प्रति + उत्पन्न = प्रत्युत्पन्न
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
वि + उत्पत्ति = व्युत्पत्ति
प्रति + उत्पत्ति = प्रत्युत्पत्ति
प्रति + उत् = प्रत्युत्
रवि + उदय = रव्युदय
(6) ई + उ = यु
स्त्री + उचित = स्त्र्युचित
स्त्री + उपयोगी = स्त्र्युपयोगी
नारी + उत्थान = नार्युत्थान
देवी + उपासना = देव्युपासना
सुधी + उपास्य = सुध्युपास्य
नदी + उद्गम = नघुद्गम
नदी + उद्धार = नार्युद्धार
वाणी + उचित = वाण्युचित
नारी + उचित = नार्युचित
सुधी + उपास्य = सुध्युपास्य
देवी + उक्ति = देव्युक्त्ति
देवी + उत्पत्ति = देव्युत्पत्ति
सखी + उचित = सख्युचित
देवी + उदय = देव्युदय
नदी + उत्पन्न = नघुत्पन्न
वाणी + उपयोगी = वाण्युपयोगी
(7) इ + ऊ = यू
नि + ऊन = न्यून
प्रति + ऊष = प्रत्यूष
अति + ऊष्म = अत्यूष्म
वि + ऊह = व्यूह
अति + ऊष्मा = अत्यूष्मा
प्रति + ऊन = प्रत्यून
प्रति + ऊह = प्रत्यूह
अति + ऊध्र्व = अत्यूध्र्व
अभि + ऊह = अभ्यूह
अधि + ऊढा = अध्यूढा
8) ई + ऊ = यू
वाणी + ऊर्मि = वाण्यूर्मि
भू + ऊर्मि = भूर्मि
नदी + ऊर्मि = नघूर्मि
(9) इ + ए = ये
प्रति + एक = प्रत्येक
अधि + एय = अध्येय
अधि + एषणा = अध्येषणा
जाति + एकता = जात्येकता
(10) ई + ए = ये
सखी + एव = सख्येव
(11) इ + ऐ = यै
अति + ऐश्वर्य = अत्येश्वर्य
(12) ई + ऐ = यै
नदी + ऐश्वर्य = नघैश्वर्य
देवी + ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य
सखी + ऐश्वर्य = सख्यैश्वर्य
सखी + ऐक्य = सख्यैक्य
(13) इ / ई + ओ = यो
वि + ओम = व्योम
दधि + ओदन = दध्योदन
अति + ओज = अत्योज
(14) इ / ई + औ = यौ
वाणी + औचित्य = वाण्यौचित्य
अति + औदार्य = अत्यौदार्य
(15) उ + अ = व
तनु + अंगी = तन्वंगी
मधु + अरि = मध्वरि
भानु + अस्त = भान्वस्त
समनु + अय = समन्वय
सु + अच्छ = स्वच्छ
अनु + अर्थ = अन्वर्थ
मधु + अरिष्ट = मध्वरिष्ट
सिन्धु + अर्चना = सिन्धवर्चना
अनु + अय = अन्वय
मनु + अंतर = मन्वंतर
सु + अल्प = स्वल्प
सु + अस्ति = स्वस्ति
परमाणु + अस्त्र = परमाण्वस्त्र
ऋतु + अंत = ऋत्वंत
शिशु + अंग = शिश्वंग
(16) ऊ + अ = व
वधू + अर्थ = वध्वर्थ
चमू + अंग = चम्वंग
(17) उ + आ = वा
अनु + आदेश = अन्वादेश
मधु + आलय = मध्वालय
साधु + आचरण = साध्वाचरण
गुरु + आदेश = गुर्वादेश
मधु + आचार्य = मध्वाचार्य
गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा
मनु + आख्यान = मन्वाख्यान
लघु + आदि = लघ्वादि
सु + आगत = स्वागत
साधु + आचार = साध्वाचार
भानु + आगमन = भान्वागमन
प्रभु + आदेश = प्रभ्वादेश
सु + आगम = स्वागम
विष्णु + आराधना = विष्ण्वाराधना
सु + आभास = स्वाभास
प्रभु + आज्ञा = प्रभ्वाज्ञा
(18) ऊ + आ = वा
वधू + आगमन = वध्वागमन
चू + आक्रमण = चम्वाक्रमण
वधू + आचरण = वध्वाचरण
वधू + आदेश = वध्वादेश
भू + आदि = भ्वादि
(19) उ / ऊ + इ = वि
अनु + इति = अन्विति
अनु + इष्ट = अन्विष्ट
वधू + इच्छा = वध्विच्छा
धातु + इक = धात्विक
अनु + इत = अन्वित
वधू + इष्ट = वध्विष्ट
(20) उ / ऊ + ई = वी
अनु + ईक्षा = अन्वीक्षा
तनु + ई = तन्वी
वधू + ईर्ष्या = वध्वीर्ष्या
अनु + ईक्षण = अन्वीक्षण
धातु + ईय = धात्वीय
अनु + ईक्षक = अन्वीक्षक
(21) उ / ऊ + ए = वे
अनु + एषण = अन्वेषण
प्रभु + एषणा = प्रभ्वेषणा
अनु + एषक = अन्वेषक
अनु + एषी = अन्वेषी
(22) ऊ + ऐ = वै
वधू + ऐश्वर्य = वध्वैश्वर्य
(23) उ + ओ = वो
लघु + ओष्ठ = लघ्वोष्ठ
(24) उ / ऊ + औ = वौ
गुरु + औदार्य = गुर्वोदार्य
वधू + औदार्य = वध्वौदार्य
साधु + औदार्य = साध्वौदार्य
(25) ऋ + अ = र
मातृ + अर्थ = मात्रर्थ
पितृ + अनुमति = पित्रनुमति
मातृ + अंग = मात्रंग
पितृ + अंग = पित्रंग
(26) ऋ + आ = रा
मातृ + आनंद = मात्रानंद
पितृ + आदेश = पित्रादेश
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
भ्रातृ + आगमन = भ्रात्रागमन
पितृ + आलय = पित्रालय
(27) ऋ + इ / ई = रि / री
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा
स्वस्तृ + इच्छा = स्वस्त्रिच्छा
पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा
पितृ + ईहा = पित्रीहा
(28) ऋ + उ = रु
मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश
भ्रातृ + उत्कण्ठा = भ्रात्रुत्कण्ठा
पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश
दातृ + उदारता = दात्रुदारता
(29) ऋ + ए = रे
पितृ + एषण = पित्रेषण
(30) ऋ + ऐ = रै
पितृ + ऐश्वर्य = पित्रैश्वर्य
(31) ऋ + ओ / औ = रो / रौ
पितृ + ओक = पित्रोक
पितृ + औदार्य = पित्रौदार्य
संस्कृत में यण संधि का सूत्र :-
इकोऽयणचि
हिंदी में यण संधि के सूत्र का अर्थ :-
इक: = इक् ( इ, उ, ऋ , लृ ) के स्थान पर
यण् = यण् ( य् , व् , र् , ल् ) होता है
अच् = अच् ( असमान स्वर ) परे होने पर |
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